कौन कहता है हमने नहीं देखा
एक लड़की के लड़की होने का सच
और एक लड़के के लड़के होने का सच
झूठ कहते है वो जो इसमें कुछ्छ नहीं देखते
उप्लाभ्धियो के विस्तृत आकाश को आगोश में समेटती
एक लड़की धीरे धीरे भूलने लगती है
आकाश भी , और आकाश का आगोश भी
याद रह जाती है तो बस
घर, बाहर और घर के वो लोग जिन्हें उसने
अभी अभी देखा है,
समझा नहीं.
भूल ही नहीं जाती
उपलब्धियो का विस्तृत आकाश बल्कि भूल जाती है
अपना नन्हा सा भी
छोटा सा आकाश
क्या करना पड़ता है ये सब लडको को भी
तुम्हारे सोचने को छोड़ रहा हू मै ये यक्ष प्रश्न
-महेश कुश्वंश
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-कुश्वंश