हे राम
क्यों याद रखे हम तुम्हे
क्यों चाहते हो तुम, तुम्हे याद रखा जाये
अपने युग के लिए तुम बापू रहे होगे
हम इक्कीसवी सदी के लोग
हर उस चेहरे को नहीं याद रखते जो हमारी तरक्की में बाधक को
तुम्हारी अहिंसा हमारे अर्थ नहीं पूरे कर सकती
तुम्हारी धोती फैशन सिम्बल नहीं
न ही हमारा तन दिखाती है उन अर्थो में
जिनमे हम दिखाना चाहते है
तुम्हारा चस्मा नहीं देख सकता दूर की जो देखती है आज की राजनीती
तुम नहीं पढ़ सकते थे किसी का बहा खून कब फायदा देगा
न ही तुम्हे ज्ञान था खून का रंग हिन्दू मुस्लिम भी होता है
कैसे याद रखे तुम्हे
तुम्हारा कोई वाद भी नहीं जो सत्ता दिला सके
तुम दलितों के लिए संघर्ष करते थे स्वयं अपने से
अपने अन्दर विराजमान दलित भावना से
दलितों के मसीहा नहीं थे तुम
आज साठ साल बाद भी तुम्हारे दलित वही है
जो नहीं थे वो भी दलित हो गए
बापू कौन सी आजादी दिला गए तुम
सवयम तो हे-राम कह गए
हमें हे- राम को भी तरसा गए
एक बात काम आई है तुम्हारी
तुम्हारी लाठी, जो कही भी इस्तेमाल करके हम बहा देते है खून
तुम्हारा बापुई चेहरा, जो हमारे बड़े काम आता है, मुखौटे के लिए, नाटक करने में
और तुम्हारा जन्म दिन भी हम इस्तेमाल में लाते है
दूसरो को अहिंसा का उपदेश देने के लिए
हैप्पी बर्थडे बापू
- महेश कुश्वंश
बहुत सार्थक बात कही है ....अच्छी रचना ...
जवाब देंहटाएंएक बात काम ई है तुम्हारी
इसमे " आई " कर लें ....