नया वर्ष
नए ख्वाब
नई संभावनाएं
उन्माद मे डूबी हुयी
चारो दिशाएँ
सिसकता रहा दिग्भ्रमित बीता वर्ष
याद करता रहा
जीवन के संघर्ष
सपनों मे भी याद नहीं कुछ
कैसा था
जाग कर भी उनींदा सा या
कुछ कुछ भीगा सा
श्वेद की बूंदें
चुहचुहाती रहीं लालट पर
रस्क करता रहा
उनके ठाट पर
न जाने कब सारे बीत गए
महीने ही नहीं दिन भी सारे रीत गए
टूटी कमर
दोहरी रीढ़
केचुल उतार गई
जो अभी तक साथ थी वो घर गई
मुहाने पर आ गया फिर नया वर्ष
क्या कहूँ
किससे कहूँ
जीवन विमर्स
आओ पुनः नव वर्ष
तुम्हारा स्वागत
बस तुम्हारा स्वागत.......
बस एक दिन रहता है नव वर्ष !
जवाब देंहटाएंफिर शुरू वही ढर्रा जिन्दगी का !
फिर भी , नव वर्ष मंगलमय हो , ऐसी कामना तो कर ही सकते हैं ! :)
बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंनव वर्ष मंगलमय हो !
नव वर्ष मंगलमय हो.....
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना बुधवार 01/01/2014 को लिंक की जाएगी...............
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in
आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंनए साल की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनायें!
आप को नव वर्ष 2014 की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंकल 02/01/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
कोमल भावो की
जवाब देंहटाएंबेहतरीन........आपको भी नववर्ष की शुभकामनायें
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। । नव वर्ष की हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
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