दिये जलाओ
कि कोई तिमिर हटे
दिल मिलाओ
कि कोई प्यार बटे
जुगनुओं सी रोशनी भी
यहा है काफी
अंधेरा भगाओ कि
कोई धुंध छटे
टिमटिमाती रोशनी में
नहा गया है घर
खरीददारी से बहुत
बेतरतीब
भर गया है घर
स्नेह की कुछ जगह बनाओ
तो कुछ' बात बने
दिये जलाओ कि
कुछ तिमिर हटे
हमने सदियों से उठा रखे है
परंपरा के पुस्प
उन्हे ताजगी सा महकाओ
तो कोई राग चले
दिये जलाओ कि कुछ
तिमिर हटे
.....
दीपावली कि शुभ कामनाएँ ..
-कुशवंश
बहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : दीप एक : रंग अनेक
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (02-11-2013) "दीवाली के दीप जले" चर्चामंच : चर्चा अंक - 1417” पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार भाई जी-
बहुत सुन्दर लिखा है कुशवंश जी . दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें .
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जवाब देंहटाएंखुबसूरत अभिवयक्ति...... शुभ दीपावली
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट हम-तुम अकेले
उम्दा प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार दिवाली की शुभकामनाएं |
बहुत ही सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंदीपावली कि हार्दिक शुभकामनाएँ
:-)
काश
जवाब देंहटाएंजला पाती एक दीप ऐसा
जो सबका विवेक हो जाता रौशन
और
सार्थकता पा जाता दीपोत्सव
दीपपर्व सभी के लिये मंगलमय हो ……
दीप पर्व आपको सपरिवार शुभ हो !
जवाब देंहटाएंकल 03/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत शुभ लगती सी अन्धेरा हटाने को प्रयासरत कामना .....
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