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कल रात मे नींद नही आई
बहुत देर तक करवटें बदलने के बाद
कब झपक गया पता नहीं
जब आँख खुली तो
फगुनायी चेतना मे सराबोर था
आँखें बंद थी या यू कहूँ
खोलने का मन ही नही था
एक बहुत बोल्ड लिखने वाली ब्लॉगर ने
न जाने कहाँ कहाँ गुलाल बिखेर दिया था
और मैं हो गया था गुलाबी
एक और बेहद खूबसूरत सी लब्ध प्रतिस्थ
ब्लोगर ने कनखियों से देख कर
पिचकारी चला दी थी
और मैं बस कहता रह गया ....आय ... हाय.....
मेरे पास तो पिचकारी ही नहीं थी
भिगोता कैसे
हाथ आए अवसर को खो चुका था
स्त्री विमर्श की पुरोधा एक और ब्लोगर
साड़ी ब्लाउज़ लिए खड़ी थी
मानो मुझे पहनाना चाहती हों
मैं भागा
और भाग कर
एक राधा कृष्णमय ब्लोगर के घर छिप गया
वहा पहले ही एक औषधी ब्लोगर
राधा बने बांसुरी से बज़ रहे थे
और कृष्ण बनी ब्लोगर मोरनी बन खेल रहीं थीं ....
इस रास लीला की खबर तमाम ब्लॉगरों को हो गई थी
बाहर भीड़ जुट गई थी
एक बर्ड सेंचुरी ब्लॉगर पिजरे के साथ खड़े थे
रंग बिरंगी चिड़िया पकड़ने
पेड़ पर चढ़े थे
एक ब्लोगर पत्र पत्रिकाओं की कतरनो को ओढ़े
समाचार पत्र बने थे
घर के बाहर
विद्वान ब्लॉगर अपने मंचीय ब्लॉगरों के साथ मंच जमा चुके थे
और रस ,छंद, अलंकारों से होली खेल रहे थे
तभी मंचाध्यक्ष ने घोसित किया
संकलनयुक्त ब्लॉगरों को पुरुसकार दिया जाएगा
होली मे
होलिका सम्मान दिया जाएगा
मच के पास दूर दूर तक महिला ब्लॉगरों को सीट मिल गई थी
अपने अपने संकलन हाथों मे लिये
गुत्थम गुत्था हो रही थी
पुरुष संकलनयुक्त ब्लॉगर गुट बनाए कोने मे खड़े थे
न जाने कब किसका नाम पुकारा जाय
और न सुन पाने की वजय से
सम्मान न छूट जय
सभी से अपने अपने संकलन जमा करने को कहा गया
ताकि मूल्यांकन हो पाये
और पुरुसकार से नवाजा जाए
उड़ान तस्तरी से गुब्बारे फेंके जा रहे थे
रंग बिरंगे
रंग भरे हुये
छप्पन्भोग की गुझियाँ बाटी जा रहीं थी
पिचकारिया दनादन रंग उगल रहीं थी
कुछ ब्लॉगर भंग लगाए , हायकू गढ़ रहे थे
कुछ मंच के नीचे ...घुसे कवितायें पकड़ रहे थे
शाम होने को आई थी
सर्वश्रेस्थ की घोसना अभी होने को थी
कवियत्री ब्लॉगरों का धैर्य जवाब देने को था
खुशूर फुसुर होने लगी थी
मंचाध्यक्ष ने माइक सम्हाला
और बताया
इस बार का पुरुसकार एक यंग ब्लॉगर को दिया जाएगा
"कहाँ गया दुपट्टा तुम्हारा .........." संकलन को
सर्वश्रेथ पुरुसकार से नवाजा जाएगा
खुसुर फुसुर आसमान छू रही थी
ऐसा तो कोई संकलन नही आया
मंचासीन एक और ब्लोगर ने खुलासा किया
संकलन आया नहीं
फोटोकोपी को गया है
कल आयेगा
तभी पढ़ने को दिया जाएगा
ये संकलन मंचाध्यक्ष की गोद ली बेटी को जाएगा
अपने अपने संकलन मुफ्त दे जाओ
होली मे पुरुसकार स्वरूप ठंडाई ले जाओ
मंच की हवा मे सेंडिलें मडराने लगीं थीं
मच उखड़ने लगा था
विद्वान मच संचालक भाग चुके थे
लाउडिस्पीकर गा रहा .....रंग बरसे भीगे चुनार वाली ...रंग बरसे
होली है ........
-कुशवंश
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