दिवाली के दिये
निरंतर जलना होगा
फैला है तंम
फूली सम्बन्धों की दम
पोरो पोरो मे स्वांश बिन्दु बन झरना होगा
दीवाली के दिये
निरंतर जलना होगा
सुविधाओं से भरे
हृदय की
निर्मल खुशियों से परे
बाज़ार मूल्य पर वस्तुवाद
को मरना होगा
दीवाली के दिये
निरंतर जलना होगा
घोसले से मजबूर हुये
ची ची ..... ममता से दूर हुये
गौरैया के घोसले को फिर गढ़ना होगा
दीवाली के दिये
निरंतर जलना होगा
परछायी मे स्वेद बिन्दु जो
हुये निरर्थक
तोड़ रही दम मेहनत की
परिभाषा बंधक
उन बंधन की जकड़न को
सुलझाना होगा
दीवाली के दिये
निरंतर जलना होगा
जगमग जगमग हो जाए
सारा आकाश
हृदय के कोने कोने मे
फैले प्रकाश
सम्बन्धों की फूलझड़ी बन
चमकना होगा
दीवाली के दिये
निरंतर जलना होगा
-कुशवंश
दीप पर्व की शुभकामनाऐं । बहुत सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंज्योतिपर्व की हार्दिक मंगलकामनायें!
सुन्दर , सार्थक भाव
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें
सुंदर रचना
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