मुझसे अभी अंजान है
दिल मे बसा
जो शांत सा तूफान है
कैसे सब कच्चे घरौंदे बन गए
रास्ते पत्थर के सब होते गए
मिल गए जो ख्वाब से
खोते गए
मैंने सोचा भूल कर सब
गीत गाऊं
सूखते संबंध को
पहचान जाऊ
बरसात मे भी अग्नि कुछ ऐसी जली
अंतर मे बिखरी आंधिया तूफा बनी
मन मे उठे उस ज्वार ने
झकझोर डाला
रोशनी मे हो गया
काला उजाला
फिर भी कही चमका रहा जो
इंद्रधनुष
उससे ही ब्रांहांड़ सारा बहुत खुश
रास्ते बनते गए
फिर जंगलों मे
साँझ को सब लौट आए फिर घरों मे
वापस घरों मे
....कुशवंश
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-कुश्वंश