चुनाव के माहौल मे
जारी कर रहे है सभी घोषणा
पत्र
मुझसे भी कहा गया
मगर मै कैसे जारी कर
सकता हू कोई
घोषणा पत्र
और जारी भी कर दिया तो
क्या और पार्टियों की
तरह नही होगा
कभी न पूरा होने वाला
इसलिए मै जारी करता हू
शपथ पत्र
शपथ ....! किसी महिला पर
न व्यंग करूंगा
न हो रहे व्यंग पर हसूंगा
क्योंकि वो चुटकुलों
की वस्तु नही
शपथ ये भी कि वो मात्र
विज्ञापन की वस्तु भी
नही
जो इत्र की महक पर चरित्र
न्योछावर कर दे
मै उसकी मजबूरी पर भी
कोई सवाल नही करूंगा
और न ही
उसे महसूस कर कोई वस्तु ख़रीदूँगा
शपथ ये भी कि बलात्क्रत
स्त्री ही नही होगी
पूरा समाज होगा
और त्रासदी उसको ही नही
हमे भी झेलनी होगी
शपथ ये भी कि
नही पैदा होगी कोई आरुषि
जिसे मार कर जन्म देने
वाले ही कठघरे मे हों
शपथ ये भी कि रहेंगे
ईमानदार
शब्दों से नहीं कर्म
से, हृदय से
सूखने नही देंगे
समवेदनाओं के समुद्र
और समझेंगे अतिथि देवो भव
मुक्त होंगे प्रलोभनों
की मरीचिका से
उपभोक्ता वस्तुओ के विज्ञापनी
जाल से
सेवाए देंगे निरंतर
बिना सुविधा शुल्क
बूढ़ी खाँसती माँ को देंगे
प्रेम का आलिंगन
दूर कर देंगे उसका सूनापन
निरंतर खोजती आँखें
जी लेंगी रामराज्य
इस आपाधापी भरी ज़िंदगी
मे
निकाल लेंगे परिवार के
लिए खुशियों के पल
सच्चे अर्थों मे
क्या हम लेंगे शपथ जीवन मूल्यों को निभाने की..
अगर सभी यह शपथ ले लें तो समाज में स्त्रियों को उनका उचित स्थान अवश्य मिलेगा..बहुत सार्थक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन मैं भी नेता बन जाऊं - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंसच शपथ हर नेता तोड़ने के लिए ही लेता है !
जवाब देंहटाएंलेटेस्ट पोस्ट कुछ मुक्तक !
सटीक रचना
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