धर्म तुम क्या हो ?
ईंट गारे से बने
मंदिर हो
मस्जिद हो
गुरुद्वारा हो
चर्च हो
या फिर
मानवीय समवेदनाओं
विस्वास और प्रेम के
मर्यादा पुरुषोत्तम
राम हो
मोहम्मद साहब हो
गुरु नानक हो
या फिर
सलीब चढ़े ईसू हो
या इस सब के इतर
गोलियो
बमों
छुरों ऐवम
रक्तरंजित तलवार की नोंक पर टंगे
निरीह मासूमों की
चीत्कार हो
दिलों मे सदियों तक
फासले बढ़ाने वाली
दीवार हो
धर्म तुम क्या हो ?
मुझे बताओ
मुझे बताओ
....
धर्म का सहारा लेकर ही असमाजिक तत्व दंगे जैसी परिस्थितियाँ पैदा करते रहते है ,कोई भी धर्म किसी को कत्लेयाम करने का का उपदेश नही देता, बहुत ही मार्मिक प्रस्तुतिकरण,आपका धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंधूम धाम से दिखावा का पूजा करनेवाले दिल से भगवान को नहीं मानते,धर्मं का धंधे करने वाले प्यार मुह्हबत को नहीं मानते फिर धर्म को कौन पहचानेगा ? धर्म भी अपना पहचान खो चूका है
जवाब देंहटाएंlatest post: क्षमा प्रार्थना (रुबैयाँ छन्द )
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धर्म की परिभाषा बदल डाली है धर्मान्धों ने.....
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक प्रश्न...
सादर
अनु
धर्म तो धर्म ही है ,अधर्मी व्याख्या गलत करते है......सामयिक प्रश्न ... सुन्दर प्रस्तुति..... ,
जवाब देंहटाएंसामयिक प्रश्न पर सुन्दर शब्द चयन लिए रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सटीक प्रश्न..
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : अद्भुत कला है : बातिक
सुन्दर प्रस्तुति है आदरणीय-
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई-
सही अर्थों मेँ धर्म को जाना ही कौन है ???????? सार्थक प्रश्न
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