खुली आँखों से
कल
चाँद निकलते देखा
छिपे अरमानों को
कल
करवट बदलते देखा
घुप्प अन्धेरा था
दिखता न था
हाँथ को हाथ
तुम्हारे चेहरे को
मेरा
चेहरा पढ़ते देखा
कवितायें ही कवितायें
बिखरने लगीं
चाँद सितारों की तरह
खूबियां पलने लगीं
कई
दिलकश नजारों की तरह
भूले बिसरे कई जमाने
याद आने लगे
कानों के पास कई भौरे
गुनगुनाने लगे
सोचता हूँ
क्या
उमंगों का मौसम है
अबकी श्रावण में
लगता है
दिलभर दम है....
बहुत खूब ......बहुत दम है .........?
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति आभार क्या ऐसे ही होती है ईद मुबारक ? आप भी पूछें सन्नो व् राजेश को फाँसी की सजा मिलनी चाहिए.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN,
जवाब देंहटाएंचाँद तारों के साथ, यादों की बारात -बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंlatest post नेताजी सुनिए !!!
latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!
बहुत सुंदर भाव ॥
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया भावात्मक अभिव्यक्ति के लिए धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने इस अभिव्यक्ति में
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