दिल ही दिल
रास्ते जैसे भी थे ,
संगीन थे
दोस्त जितने भी मिले
रंगीन थे
कुछ न कुछ तो था मगर
जाने न तुम
कनखियों की राह
पहचाने न तुम
रास्ते में जो मिले
ग़मगीन थे
जो भी मिले संगी सभी
नमकीन थे
पड़ोसी जितने मिले
तमाशबीन थे
क्या करे
पूंछे दिल का हाल
किससे
दिल ही दिल में सब
दिलों से हीन थे
-कुश्वंश
सुन्दर शब्द चयन-
जवाब देंहटाएंगतिमान पाठ ||
पूंछे दिल का हाल
जवाब देंहटाएंकिससे
दिल ही दिल में सब
दिलों से हीन थे
अच्छे पडोसी मिलना भी किस्मत की बात है... सुन्दर रचना...आभार
आज स्वार्थ के चलते लोगों के पास दिल बचा ही कहाँ है ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआज की दुनिया का यही सच है...
जवाब देंहटाएंक्या करे
पूंछे दिल का हाल
किससे
दिल ही दिल में सब
दिलों से हीन थे
बहुत अच्छी रचना, बधाई.
दिल ही दिल में सब
जवाब देंहटाएंदिलों से हीन थे
यही तो विसंगति है
sundar shabd chayan se yukt behatariin rachana
जवाब देंहटाएंगहन भाव व्यक्त करती सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंbahut sunder rachna
जवाब देंहटाएंदिल ही दिल में सब
जवाब देंहटाएंदिलों से हीन थे
....यही तो आज का कटु सत्य है... बहुत सुन्दर रचना..