होंठो को,
गालो को,
बालो को.
खुलने दो
मन के
रचे बसे
सतरंगी तालो को
बंद आँखों के
नीले पीले रंगों को ?
नीले नीले सपनो को,
गुलाबी-गुलाबी अपनों को.काले काले मन को,
सफ़ेद सफ़ेद तन को.
कुछ मत करो तुम
बस,
जीने दो
शाम होने को है
जीवन को घूट घूट पीने दो
रक्त की तरह
आखिरी बूंद तक
-महेश कुश्वंश-
बहुत अच्छी प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंश्री दुर्गाष्टमी की बधाई !!!
बहुत प्यारी लाइन हैं ...
जवाब देंहटाएंछूने दो
जीने दो
शाम होने को है
जीवन को घूट घूट पीने दो
रक्त की तरह
आखिरी बूंद तक