महेश कुशवंश

2 जुलाई 2011

मझे हीरोइन बनाओ..


मेरा प्रोफाइल ठीक करो,
मझे हीरोइन बनाओ,
में  तुमसे प्यार करती हूँ
मझे  आजमाओ,
तुम तो पहले भी आये थे घर,
आज फिर आओ,
मुझे आज ढेर सा काम है
आज नहीं आ पाऊंगा,
प्यार तो में भी करता हूँ
जरूर आजमाऊंगा,
सुबह सुबह फ़ोन बजता है
कमबख्त इतने सवेरे कौन है
डार्लिंग आई लव यू 
मैं  छुट्टी में  आया हूँ
तुम आओगी या में ही आजाऊ
आजाओ ,
तुम्हे रोक सकूंगी क्या ?
कौन है ?
दो आवाजे उभरती है ,
एक फ़ोन से,
एक बिस्तर से,
बिस्तर की आवाज को घर छोड़ने में देर लगती है,
तभी डोर बेल बज जाती है,
सामने खड़ा है वो
जो शादी करना चाहता है ,
और पीछे वो
जो जिन्दगी बना सकता है,
प्यार किससे करू,
हीरोइन पसोपेश में पड़ जाती है
शादी करने के लिए, या
जिन्दगी सवारने के लिए ,
कोई एक ही चाहिए ,
एक को समाप्त होना जरूरी है,
फोन वाला भारी पड़ जाता है ,  
बेवफा को भुला कर
बेवफाई के  कारक  को
टुकड़े में बदल देता है ,
वो  प्रेम करने वाली,
प्यार के टुकड़े
बैग में भरती है,
बचा हुआ प्यार  और प्रेयसी 
सुबूत  मिटाने लगते है ,
दूर कही जंगल में
सुलग उठती है प्यार की चिता,
अद्भुत प्रेमी वापस आते है,
और सो जाते है,
वैलेंटाइन की तरह,
माँ-बाप के दिल का टुकड़ा
कहीं खो जाता है,
चक्र चलता है , 
प्रेमी पकडे जाते है,
मीडिया फांसी मांगती है,
जनता भी, 
सालों बीत जाते है,
सुबूत काफी नहीं थे अंधी देवी के समक्छ,
हिरोइन रिहा हो जाती है,
बचाव वकील ना जाने किसलिए
बस मुस्कुराता है,
हीरोइन झूठ को सच करने पर
धन्यवाद देती है ,
उसी दिन  उसे चार  फिल्मे मिल जाती है,
यही तो उसकी मंजिल थी,
किसी को मारकर मिले तो भी,
पत्रकार सम्मलेन में
वो नहीं जानती ,
कौन मरा और कैसे मरा,
कैमरे चमकते है
चैनल वाले हांथो-हाथ लेते है,
माँ-बाप खून के आंसू रोते है,
बरसात है फिर भी
सुबूतों के आंशुओं से  स्तब्ध, सारा देश
गीला है
क्या करू ये साला करेक्टर ढीला है,
बस देश का ही  !
करेक्टर ढीला है.

-कुश्वंश





   

19 टिप्‍पणियां:

  1. बस देश का ही !
    करेक्टर ढीला है.

    कटु सत्य कह दिया …………यही तो हुआ है आज्………न्याय पर अन्याय की जीत हुई है।

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  2. बहुत ही गहन भावों का समावेश अंतिम पंक्तियों में ... ।

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  3. क्या करू ये साला
    करेक्टर ढीला है,
    बस देश का ही !
    करेक्टर ढीला है.

    bahut sundarta se bhadrata se --
    prasut kiye yathaarth |

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  4. aapne is post se maria ki kahani puri likh di shayad itni hi sacchai reh gayi hai duniya mein....kaam nikalna aur chod kar nahi to maar kar hi apni duniya sanwaar lena!!!
    real story ko kavita bana kar bahut sunder aur sateek shabdon mein prastut kiya aapne.

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  5. सामयिक कविता , खबर है रामू ने मारिया सुसाइराज को फिल्म का आफर दिया है

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  6. हम सभी के आक्रोश को हवा देती रचना ।
    आज इंसानियत भी शर्मसार हुई ।

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  7. @अजय जी , देखा था प्रोटेस्ट करने लिए लोग निर्वस्त्र हो जाते है विदेशों में, चरमोत्कर्ष ये की स्त्रियाँ भी , ये उनकी संस्कृति है, हमारे देश में भी बुरे कामों का महिमा मंडन मीडिया भी करती है और हमारी मानसिकता भी. रामू तो उसे भुनाना चाहते है . जिसे समाज में अलग-थलग करना चाहिए था उसका महिमा मंडन, उसको हांथों हाथ लिया जाना. सब संवेदनहीन हैं रामू भी.क्या करे .सोचिये क्या करे...

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  8. दूर कही जंगल में
    सुलग उठती है प्यार की चिता,

    'बस देश का ही करेक्टर ढीला है...'

    Behad khub surt andaaj kyaa kahne ...

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  9. बिलकुल सामयिक रचना...आज की घटना को आपने यहाँ रखा, आभार...
    अब तो मारिया को बिग बॉस में भी एंट्री मिल गयी...

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  10. apne mariya ki kahani kahani ka katu satay rachna me likh diya... bhut muskil hota sab kuch ek sath sametna.. jo apne kiya hai... gajab ki rachna....

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  11. bahut achcha kataksh kiya hai kamaal ka likha hai.saadar.

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  12. अदभुत बेहतरीन प्रस्तुति.

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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