कौन जीता है यहाँ
किसी को सहारा देकर
रस्ता बदल देते है
किसी को किनारा देकर
खरा है कौन है
जांनता है कहाँ कोई
मानवता ना जाने किस ओर
कहाँ जाकर सोयी
कौन है जो जगाले
जमीर सोया अपना
पूंछ्ले किसी के भी
घर का कोई सपना
हम तो बेकार मे
सम्बंध बनाते है उंनसे
सोते अरमान अंजान
जगाते हैं उंनसे
भूल जाओ अगर कोयी भी
अपना ना मिले
दिन तो दिन है
रातो मे भी सपना ना पले
हम तो हाँथो मे
तक्दीर लिये फिरते है
जेबो मे अपनी ही
तस्वीर लिये फिरते हैं
गम नही गर कोई
आसमा ना मिले
सोचेंगे नहीं गर
कोई गरीबा ना मिले
-
कुशवंश
किसी को सहारा देकर
रस्ता बदल देते है
किसी को किनारा देकर
खरा है कौन है
जांनता है कहाँ कोई
मानवता ना जाने किस ओर
कहाँ जाकर सोयी
कौन है जो जगाले
जमीर सोया अपना
पूंछ्ले किसी के भी
घर का कोई सपना
हम तो बेकार मे
सम्बंध बनाते है उंनसे
सोते अरमान अंजान
जगाते हैं उंनसे
भूल जाओ अगर कोयी भी
अपना ना मिले
दिन तो दिन है
रातो मे भी सपना ना पले
हम तो हाँथो मे
तक्दीर लिये फिरते है
जेबो मे अपनी ही
तस्वीर लिये फिरते हैं
गम नही गर कोई
आसमा ना मिले
सोचेंगे नहीं गर
कोई गरीबा ना मिले
-
कुशवंश
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति … आभार
जवाब देंहटाएंअर्थपूर्ण अभिव्यक्ति
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