tag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post4260035712478651290..comments2024-03-03T22:24:56.269+05:30Comments on अनुभूतियों का आकाश: सपना सजाया हैAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/18094849037409298228noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post-20198037704950078772011-03-01T21:55:49.188+05:302011-03-01T21:55:49.188+05:30प्रिय बंधुवर कुश्वंश जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
...<b><i>प्रिय बंधुवर कुश्वंश जी</i></b> <br />सादर सस्नेहाभिवादन !<br /> <br /><b>कल तलक <br />आगोश से भी दूर थी<br />पुरवाइयां <br />बहकी हवाएं<br />दे रही थीं <br />प्यार की तन्हाइयां </b> <br /><br />क्या बात है ! <br /> <br /><b>कौन है जो<br />रक्त में श्रृंगार रस <br />भरने चला <br />कौन है जो मर्म में <br />मनुहार रस भरने चला</b> <br />आहाऽऽहा … ! क्या सुंदर प्रवाह है भाषा का …<br /><br /><b>तुम बताना,<br />मैं नहीं खोलूगा आंखें, <br />बंद ही रक्खूंगा अब <br />डर रहा हूं<br />उन्माद के पल <br />स्वप्न न हो जाये सब … </b> <br />सुंदर सुरुचिपूर्ण रचना के लिए बधाई ! मंगलकामनाएं !!<br /><br /><b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow">महाशिवरात्रि की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ! <br /></a></b> <br />- राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post-540360536348117432011-02-27T06:48:09.449+05:302011-02-27T06:48:09.449+05:30मैं नहीं खोलूगा ऑंखें,
बंद ही रक्खूगा अब
डर रह...मैं नहीं खोलूगा ऑंखें, <br />बंद ही रक्खूगा अब <br />डर रहा हूँ <br />उन्माद के पल <br />स्वप्न न हो जाये सब.<br /><br />---------<br /><br />कभी कभी ऐसे ही कुछ डर मेरे भी जेहन में आते रहते हैं । जो रोकते हैं कुछ कहने से और पलकों कों जोर से भींचे रखने की हिदायत भी देते हैं । <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post-25570110928109309572011-02-26T20:39:35.759+05:302011-02-26T20:39:35.759+05:30अच्छी अभिव्यक्ति ..अच्छी अभिव्यक्ति ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post-6288159524323319222011-02-26T19:00:39.875+05:302011-02-26T19:00:39.875+05:30फागुनी, पछुवा हवा,
कौन है जो
रक्त में श्रृंगार रस...फागुनी, पछुवा हवा, <br />कौन है जो<br />रक्त में श्रृंगार रस <br />भरने चला....<br /><br />बहुत खूब ....Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post-64030966743762298952011-02-26T15:06:51.062+05:302011-02-26T15:06:51.062+05:30अच्छी लगी आपकी ये कविता और अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर...अच्छी लगी आपकी ये कविता और अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर.सोमेश सक्सेना https://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post-6106056559632733832011-02-26T09:14:59.268+05:302011-02-26T09:14:59.268+05:30आपकी नज़्म की रवानगी,क्या कहिये.
नज़म अगर बिना रुक...आपकी नज़्म की रवानगी,क्या कहिये.<br />नज़म अगर बिना रुके चलती रहे तो कामयाब है.<br />आपकी कलम को सलाम.विशालhttps://www.blogger.com/profile/06351646493594437643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post-91236362564141920912011-02-26T07:46:09.921+05:302011-02-26T07:46:09.921+05:30संवेदनशील ,भावपूर्ण, सुंदर रचना ! शुभकामनाएँ !संवेदनशील ,भावपूर्ण, सुंदर रचना ! शुभकामनाएँ !रजनीश तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/10545458923376138675noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post-39944559619824896412011-02-25T11:55:48.581+05:302011-02-25T11:55:48.581+05:30कुछ कहने के ,
कुछ सुनने के,
शब्द भी बाकी न थे, ...कुछ कहने के ,<br />कुछ सुनने के, <br />शब्द भी बाकी न थे, <br />रेत से सम्बन्ध बिखरे <br />दर्द भी शाकी न थे, <br />कमाल की रचना ....संवेदनशील पंक्तियाँ..... मन के गहरे भाव लिए ...... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post-27740844970231597492011-02-25T11:28:29.742+05:302011-02-25T11:28:29.742+05:30ओह....अद्वितीय !!!
शब्द भाव प्रवाह सब ह्रदयहारी....ओह....अद्वितीय !!!<br /><br />शब्द भाव प्रवाह सब ह्रदयहारी...मनोहर...<br /><br />बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर रचना....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post-44766426264462649772011-02-25T10:55:54.303+05:302011-02-25T10:55:54.303+05:30मैं नहीं खोलूगा ऑंखें,
बंद ही रक्खूगा अब
डर रह...मैं नहीं खोलूगा ऑंखें, <br />बंद ही रक्खूगा अब <br />डर रहा हूँ <br />उन्माद के पल <br />स्वप्न न हो जाये सब.<br />मन के भावों का सुन्दर चित्रण। शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post-58761853181283110772011-02-25T01:26:02.087+05:302011-02-25T01:26:02.087+05:30सुन्दर और भावपूर्ण कविता के लिए बधाई।सुन्दर और भावपूर्ण कविता के लिए बधाई।Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.com