tag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post376767679146708775..comments2024-03-03T22:24:56.269+05:30Comments on अनुभूतियों का आकाश: ये जो दरवाजे पर पहरेदार सा ....Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/18094849037409298228noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post-32509902033771794232013-02-15T22:30:33.528+05:302013-02-15T22:30:33.528+05:30
पूरी कविता एक चलचित्र की तरह चली .... और आखिरकार...<br /><br />पूरी कविता एक चलचित्र की तरह चली .... और आखिरकार समापन दुखांत ही हुआ। ऎसी सामाजिक त्रासदी अंतर्मन को झकझोर कर रख देती है। <br /><br />कुश्वंश जी, आप भावों की धार हो ... एक बार फूटी नहीं कि बाढ़ ही आ जाती है। पाठक तैरते-तैरते पार जाने की कोशिश में किनारे पर ही डूब जाता है। प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post-1107143051459563372013-02-15T14:08:44.323+05:302013-02-15T14:08:44.323+05:30बहूत ही उत्कृष्ट और प्रेरक अभिव्यक्ति आपके अनमोल भ...बहूत ही उत्कृष्ट और प्रेरक अभिव्यक्ति आपके अनमोल भावों को पढकर दिल में बहुत हर्षाया हूँ.संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post-10715968797987795552013-02-14T15:59:29.954+05:302013-02-14T15:59:29.954+05:30 तब से ये नीम
हो गया ठूंठ ....
हमेशा के लिए
रिश्... तब से ये नीम <br />हो गया ठूंठ ....<br />हमेशा के लिए <br />रिश्तों से भी , संबंधों से भी ...<br />आह ... नीम ...<br />बेहद गहन भाव रचना के ... मन को छूती पोस्टसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post-4343921327117064622013-02-12T23:34:36.235+05:302013-02-12T23:34:36.235+05:30तब से ये नीम
हो गया ठूंठ ....
हमेशा के लिए
रिश्त...तब से ये नीम <br />हो गया ठूंठ ....<br />हमेशा के लिए <br />रिश्तों से भी , संबंधों से भी ...<br />बरसों के रिश्ते ऐसे भी टूट जाते हैं...गहन अनुभूती संध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post-77651048470234348862013-02-12T20:35:31.340+05:302013-02-12T20:35:31.340+05:30आखिर इंसान ने ही इसे ठूंठ बना दिया।
सोचने पर विवश...आखिर इंसान ने ही इसे ठूंठ बना दिया। <br />सोचने पर विवश करती रचना श्रेष्ठ रचना। डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post-25830277642363013912013-02-12T19:00:28.854+05:302013-02-12T19:00:28.854+05:30आखिरी बार की सभा ने
टांग दिया था रस्सियों से
राध...आखिरी बार की सभा ने <br />टांग दिया था रस्सियों से <br />राधा - मंगलू को <br />और <br />चीखते रह गए थे उसके मा और बापू <br /><br />नीम इस दृश्य का भी गवाह बना और शायद इसी लिए अब ठूंठ है ... संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-493269341441831092.post-7581398595787101002013-02-12T17:18:20.911+05:302013-02-12T17:18:20.911+05:30सुन्दर भावाभिव्यक्ति-
आभार आदरणीय ||सुन्दर भावाभिव्यक्ति-<br />आभार आदरणीय ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com